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Sunday, 15 September 2013

वास्तुकला का नायाब नूमना है बिश्नोई मंदिर सिरसा

सिरसा : बिश्नोई धर्मशाला में नवनिर्मित ‘बिश्नोई मंदिर’ वास्तुकला का नायाब नमूना है। माना जा रहा है कि ‘शीशे की मीनाकारी’ से तैयार अपनी तरह का प्रदेश का संभवतया पहला मंदिर है। राजस्थान से लाए गए पत्थर और शीशे की अनूठी नक्काशी ने मंदिर की की खूबसूरती के चार चांद लगा दिए हैं।1नक्काशी के माध्यम से मंदिरों के चित्र, विष्णु भगवान के चित्र, निज मंदिर, मुकाम के चित्र उकेरे गए हैं। बताया जा रहा है कि जहां एक ओर मंदिर की दीवारों की खिड़कियों पर करीब 10 लाख रुपये के शीशे से नक्काशी हुई है वहीं दूसरी ओर छत पर 16 लाख रुपये की लागत से शीशे की नक्काशी की गई है। बिश्नोई सभा के प्रधान खेमचंद बैनीवाल, सचिव ओपी बिश्नोई का मानना है कि यह मंदिर वास्तु दोष से पूरी तरह मुक्त है। चंडीगढ़ से बनवाया गया मंदिर का नक्शा एक गुरुद्वारे से मिलता-जुलता है। राजस्थान के भरतपुर और किशनगढ़ से मंगाए गए विशेष पत्थरों से बाहरी दीवारों को सजाया गया है। विशेष आकर्षण का केंद्र बने मंदिर के भीतर का दृश्य और भी आकर्षक है। मूल रूप से दिल्ली के रहने वाले रोहित कारीगर ने अपनी टीम के साथ मंदिर के भीतरी दीवारों और यहां तक की छतों पर भी बेहतरीन नक्काशी की है।

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