राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत 94.3 माय एफएम के ‘जियो दिल से अवार्डर्स’ के विजेता पर्यावरणप्रेमी खम्मुरामजी खीचड़ निवासी एकलखोरी जिला जोधपुर को 24 फरवरी को जयपुर के महाराणा प्रताप आॅडिटोरियम में होगा। गहलोत इसमें मुख्य अतिथि की भूमिका में होगे। जियो दिल से अवार्ड देशभुर से चुने गए ऐसे लोगों को दिये जा रहे हैं, जिन्होनें सिर्फ अपने दिल की सुनी और निःस्वार्थ भाव से समाज सेवा में अपनी जिन्दगी लगा दी।ये अवार्ड 9 श्रेणियों में 18 लोगों को दिये जा रहे हैं। समारोह में दिल से जीने वालों का सम्मान होगा, साथ में नाच गाने और हंसी की महफिल भी जमेगी। कोमेडियन नवीन प्रभाकर, हूपला डांसर प्राची गरूण, पेंटर विलास नायक और एक्स फेक्टर फेम पीयूष कपूर की प्रस्तुति रहेगी। समारोह का प्रसारण एबीपी न्यूज पर भी होगा। अवार्ड समारोह में जाने माने कलाकारों के अलावा कई राजनीतिक हस्तियां भी शिरकत करने वाली है। ये अवाड्र ऐसे 18 लोगों को दिये जा रहे है। जो हैं तो साधारण इंसान लेकिन काम असाधारण किए हैं।
Thursday 21 February 2013
Wednesday 20 February 2013
विधानसभा में स्व. विश्नोई को पुष्पांजलि
जयपुर, 20 फरवरी। विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष स्व. पूनमचन्द विश्नोई की जयन्ती पर आज उन्हें विधानसभा भवन में पुष्पांजलि अर्पित की गयी। सरकारी मुख्य सचेतक डा. रघु शर्मा ने स्व. विश्नोई के चित्र पर पुष्प अर्पित कर उन्हें अपनी भावांजलि दी। स्व. विश्नोई की सुपुत्री एवं पूर्व संसदीय सचिव श्रीमती विजयलक्ष्मी विश्नोई, विधायक श्री गोपाल मीणा, पूर्व विधायक श्री नवरंग सिंह, डा. सुरेश चैधरी सहित स्व. विश्नोई की पुत्रवधू श्रीमती मीनाक्षी विश्नोई ने भी पुष्पांजलि दी। विधानसभा के कार्यकारी सचिव श्री प्रकाश चन्द्र पिछोलिया, उप सचिव श्री प्रहलाद दास पारीक, सहायक सचिव श्री राणाराम विश्नोई के अलावा विधानसभा के अधिकारियों एवं कर्मचारियों ने भी स्व. विश्नोई के चित्र पर पुष्प चढ़ाये।उल्लेखनीय है कि 20 फरवरी 1924 को जोधपुर के ग्राम फींच में जन्में श्री पूनमचन्द विश्नोई दूसरी चौथी, पांचवी, छठी, सातवीं, नवीं, और दसवीं विधानसभा के सदस्य रहे। स्व. विश्नोई 1967 से 1971 तक विधानसभा के उपाध्यक्ष तथा 1980 से 1985 तक विधानसभा अध्यक्ष रहे। श्री विश्नोई 1957 से 1971 तक राजस्थान राज्य क्रीडा परिषद के अध्यक्ष तथा 1980 से 1985 तक राजस्थानी भाषा, साहित्य और संस्कृति अकादमी के अध्यक्ष भी रहे। श्री विश्नोई के वन्य जीव पर्यावरण और कृषि संरक्षण के क्षेत्र में विशेष रूचि रही। उनका निधन 25 मई 2006 को हुआ।
Thursday 14 February 2013
जुनून से पाया पर्यावरण संरक्षण का जज्बा
जोधपुर । किसी काम के प्रति अगर जुनून न हो तो वह काम कभी भी मन से नहीं हो सकता । यह कहना है जोधपुर के खमुराम बिश्नोई का जो पर्यावरण को संरक्षित रखने का काम पूरे दिल से करते हैं। हालांकि शुरू में यह काम इतना आसन नहीं था। इस दौरान लोगों ने उन्हें पागल तक करार दे दिया था।
खमुराम ने 2007 में ही यह दृढ़ निश्चय कर लिया था कि उन्हें पर्यावरण को संरक्षित रखना है। इसके साथ ही उनके मन में यह सवाल भी कौंधता था कि यह महत्वपूर्ण
काम कैसे मुमकिन हो सकेगा। बहरहाल, जैसा कि कहते हैं ‘‘मैं तो अकेला ही चला था जानिबे मंजिल मगर, लोग साथ आते गए और कारवां बनता गया।’’ खमुराम के साथ ही कुछ ऐसा ही हुआ। प्लास्टिक से उत्पन्न होने वाले कचरे पर हम सबकी नजर कई बार गई होगी और हमने इसे नजरअंदाज भी किया होगा पर खमुराम ने रास्ते पर पड़े ऐसे कचरे को हटाने में कभी भी संकोच नहीं किया। वे जयपुर से लेकर पंजाब के मेलों तक में जाते हैं। वहां जाकर वे प्लास्टिक के कचरे को उठाते हैं। इतना ही नहीं, वे धार्मिक स्थानों, पर्यटन व तीर्थ स्थलों के साथ ही जल संग्रहण वाले स्थानों पर जाकर वहां से भी प्लास्टिक का कूड़ा उठाते हैं।
पेशे से क्लर्क खमुराम को जब भी छुट्टियां मिलती हैं, वे समाजसेवा में जुट जाते हैं। उनका कहना है कि कोई भी काम कभी छोटा नहीं होता, बस नीयत साफ होनी चाहिए। खमुराम ने अब तक कुल 20 अवार्ड जीते हैं। वे बताते हैं कि 2008 में उन्हें फ्रांस में पर्यावरण पर आयोजित इंटरनेशनल काॅन्फ्रेंस में हाई लेवल स्पीकर के रूप में बुलाया गया था। वहां उन्होंने ।तम ीनउंदे इमपदह तमंकल जव चसंल वित जीम ेमतअपबमे दंजनतम चतवअपकमे पर अपने विचार व्यक्त किए। यह उनके जीवन का सबसे यादगार लम्हा था। इतना ही नहीं फोटो जर्नलिस्ट फ्रैंक वोगेले ने खमुराम व बिश्नोई समाज द्वारा किए जा रहे पर्यावरण संरक्षण संबंधी कार्य पर वर्ष 2010 में एक डाक्यूमेंट्री फि ल्म बनाई थी जिसका प्रसारण फ्रेंच चैनल 5 पर 11 जून 2011 को पेरिस में हुआ था। इससे पूर्व जिओ मैगजीन ने अपने विशेष अंक में खमुराम बिश्नोई पर लेख छापा है। इस लेख में पर्यावरण संरक्षण से संबंधित उनके कार्यों का वर्णन है। इस कार्य के प्रति उनके समर्पण का ही परिणाम है कि अब लोग प्लास्टिक कचरे के दुष्प्रभाव के प्रति जागरूक हुए हैं और इसे बीनने से भी कतराते नहीं हैं। यह देख कर उन्हें ख़ुशी होती है कि इस सफर में लोगों का कारवां बढ़ता जा रहा है। बिश्नोई कहते हैं कि अगर जीवन में कठिनाइयां नहीं होती तो उन्हें इस काम के लिए कभी भी प्रेरणा नहीं मिलती और इसके लिए वे इतनी शिद्दत से कभी भी प्रयास नहीं कर पाते।
आदमपुर में तीन दिन में तीसरे हिरण की मौत
मंडी आदमपुर। आदमपुर में हिरणों की मौत का सिलसिला एक बार फिर से शुरू हो गया है। तीन दिनों में तीन हिरण मौत का ग्रास बन गए हैं। जीवरक्षा समिति के प्रधान कृष्ण राहड़ ने बताया कि शुक्रवार को गांव आदमपुर में भजनलाल थालोड़ के खेत में शिकारी कुतों ने काले हिरण के बच्चे को बुरी तरह नोंचकर घायल कर दिया। ग्रामीणों ने उपचार के लिए चिकित्सक को बुलाया लेकिन घाव ज्यादा होने के कारण तब तक हिरण की मौत हो गई। राहड़ ने बताया कि इससे पहले 12 फरवरी को गांव चूली में महेन्द्र बेनिवाल के खेत में तथा 13 फरवरी को ग्राम आमदुपर में जगदीश थालोड़ के खेत में मादा हिण के बच्चे को कुतों ने अपना शिकार बनाया था।
साभारः दैनिक भास्कर
Sunday 10 February 2013
हिरणों के अस्तित्व पर मंडराया खतरा
फतेहाबाद। गोरखपुर परमाणु संयंत्र के लिए गांव बड़ोपल की 185 एकड़ भूमि पर आवासीय कालोनी के लिए अब प्रशासन ने जमीन का अधिग्रहण कर तारबंदी शुरू कर दी है। निर्माण कार्य शुरू होने के कारण वहां हजारों की संख्या में विचरण करने वाले हिरणों का अस्तित्व समाप्त होने के कगार पर है। सरकार द्वारा परमाणु संयंत्र की आवासीय कालोनी ऐसे स्थान पर बनाई जा रही है, जहां पर सैंकड़ों की संख्या में हिरण विचरण करते हैं परंतु आवासीय कालोनी वाली भूमि पर निर्माण कार्य शुरू करने के कारण अब विलुप्त होने की कगार पर खड़े हिरणों के लिए मुश्किल और बढ़ गई है। बड़ोपल गांव एक ऐसा क्षेत्र है, जहां पर इतनी बड़ी संख्या में हिरण विचरण करते हैं लेकिन समस्या तो हिरणों के लिए सरकार ने खड़ी कर दी है। जिस स्थान पर हिरणों के लिए हिरण विहार बनना था, वहां पर सरकार ने नया शहर बसाने की तैयारी कर ली है जिससे हजारों की संख्या में विचरण करने वाले हिरण व अन्य जंगली जीवों का अंत शुरू हो गया है।
अखिल भारतीय बिश्रोई जीव रक्षा संगठन व लाइफ फार एनीमल संगठन द्वारा अनेक बार हिरणों के बचाव के लिए रैली व प्रदर्शन किए गए लेकिन अभी तक इस बारे में प्रशासन ने किसी प्रकार का कोई कदम नहीं उठाया, जिससे वन्य जीवों की जान बचाई जा सके। एक ओर तो वीरान भूमि जहां पर वन्य जीव विचरण करते हैं, वहां पर आवासीय कालोनी बनाने की तैयारी की जा रही है, दूसरी ओर अनेक किसानों ने फसलों के बचाव हेतु खेत की तारबंदी कर रखी है और फसल की रखवाली के लिए शिकारी रखवाले भी रखे हुए हैं। ऐसे माहौल में विचरण करने वाले हिरण व अन्य वन्य जीव आखिर कहां जाएं?
किसान वन्य जीवों के लिए भूमि देने का तैयार
बड़ोपल गांव के हीरालाल जांगू, सतबीर कड़वासरा, रोहताश व रामकुमार आदि किसानों का कहना है कि वे अपनी उपजाऊ जमीन वन्य जीवों को बचाने के लिए सरकार को उचित रेट पर देने को तैयार हैं जिससे वन्य जीवों की जान बचाई जा सके।
सरकार ने नहीं बनाई सैंचुरिन तो नहीं बचेंगे हिरण
वन्य जीव प्रेमी विनोद कड़वासरा व राधेश्याम धारणियां ने बताया कि यदि सरकार ने हजारों वन्य जीवों को बचाने के लिए सैंचुरिन नहीं बनाया तो दुर्लभ प्रजाति के हिरण नहीं बचेंगे। उन्होंने बताया कि इस क्षेत्र में इतनी बड़ी संख्या में हिरणों का होना मुख्य कारण वैष्णव समाज के लोगों का होना है। उन्होंने बताया कि बिश्रोई समाज के लोगों ने कई बार वन्य जीवों का बचाने के लिए अनेक बार रैली निकाली व उपायुक्त को ज्ञापन सौंपा लेकिन इन्हें बचाने के लिए कोई विशेष कार्रवाई नहीं की गई।
साभारः पंजाब केसरी दिनांक 10 फरवरी 2013
Saturday 2 February 2013
हरि कथा के समापन पर हवन किया
मंडी आदमपुर। गांव आदमपुर में निर्माणाधीन श्रीगुरु जंभेश्वर मंदिर परिसर में चल रही सात दिवसीय हरि कथा ज्ञान यज्ञ का शनिवार 2 फरवरी को समापन हुआ। इसमें समाज के लोगों ने आहुति डाली। हरि कथा का वाचन करते हुए मुकाम से आए आचार्य संत रघुवर दयाल महाराज ने कहा कि परमात्मा प्रत्येक व्यक्ति के हृदय में बसे हुए हैं। सतगुरु की शरण में जाकर परमात्मा का अंतर हृदय में साक्षात दर्शन करना ही भक्ति है। कथा में गाए भजनों पर श्रद्धालुओं ने नृत्य भी किया। इस मौके पर स्वामी जुगती प्रकाश, स्वामी सुंदर दास, प्रधान दलीप सिंह, ठाकर गोदारा, संजय बागड़वां, कृष्ण बेनीवाल, विष्णु थालोड़, नवीन, पालाराम, सतीश, बंसी लाल, रामकुमार, भूप सिंह आदि मौजूद थे।
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